आदर्श हिमाचल ब्यूरो
चंडीगढ़ । पंजाब के पूर्व मुख्य सचिव और पूर्व मुख्य सूचना कमिश्नर ( सी. आई. सी.) राजन कश्यप की आत्मकथा ‘ बीऔंड द ट्रैपिंग आफ आफिस, ए सिविल सरवैंटस जरनी इन्न पंजाब’ आज महात्मा गांधी स्टेट इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, सैक्टर- 26 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व चीफ़ जस्टिस एस. एस. सोढी और मनीपुर के पूर्व राज्यपाल गुरबचन जगत की तरफ से रिलीज की गई।
यह आत्मकथा सूबे के विकास की कहानी और आधी सदी से अधिक समय दौरान पंजाब के बेमिसाल विकास को रूप देने वाली महत्वपूर्ण घटनाएँ और नेताओं का वर्णन करती है। लेखक श्री राजन कश्यप 1965 में आई. ए. एस. भर्ती हुए और 38 सालों के लम्बे और बेमिसाल कैरियर उपरांत 2003 में मुख्य सचिव के तौर पर सेवामुक्त हुए।
इस मौके पर संजीदा बातचीत दौरान, प्रोफ़ैसर बी. एन. गोस्वामी, जो 1950 के दशक में आई. ए. एस. भर्ती हुए और अकादमिक क्षेत्र में अपना कैरियर बनाने के लिए जल्द ही सेवामुक्त हो गए, ने उस दौर में काम की नैतिकता बारे दिलचस्प किस्से सांझे किये।
ब्रिगेडियर सुखजीत सिंह ने कपूरथला के पुराने राज्य में शासन की एक दिलचस्प तस्वीर पेश करते हुए कहा कि ऐसी सम्परूनता ओर कहीं देखने को नहीं मिलती। उन्होंने सख़्त मेहनत करने पर बल दिया।
लाल बहादुर शास्त्री अकैडमी आफ एडमिनिस्ट्रेशन, मंसूरी के पूर्व डायरैक्टर संजीव चोपड़ा ने बताया कि कैसे आज के सिविल अधिकारी और अधिक पेशेवर बन रहे हैं। उन्होंने भारत के पूर्व वित्त मंत्री सी. डी. देशमुख का हवाला देते कहा कि सिविल आधिकारियों को घटनाओं संबंधी ज़रूर लिखना चाहिए क्योंकि वह इतिहास में शामिल होती हैं।
राजन कश्यप ने बताया कि कैसे चीजें अतीत के मुकाबले मौजूदा समय बदल गई हैं। सकारात्मक पहुँच के लिए पैरवी करते, उन्होंने सिविल आधिकारियों और पुलिस के मध्य नज़दीकी तालमेल की वकालत की, जो एस. एस. सोढी और गुरबचन जगत में नजऱ आता थी।
पूर्व शिक्षा सचिव ( भारत सरकार) विभा पुरी दास ने कहा कि प्रशासनिक कार्याे के संचालन में मानवीय विचारों को सर्वोच्च होना चाहिए।
मगसीपा के डायरैक्टर जनरल, अनिरुध् तिवारी ने कहा कि बेहतर मानवीय स्रोत प्रबंधन, हमदर्दी, न्याय और निष्पक्ष की स्पष्ट कदरों- कीमतों के इलावा हुनर आधारित प्रशिक्षण बहुत महत्वपूर्ण है।
इस मौके मंच का नेतृत्व पूर्व आई. ए. एस. अधिकारी विवेक अतरे ने की।