भारत अभी तक ब्यूरो
शिमला
हाल के वर्षों में नए भारत के विचार ने सभी भारतीयों के मन में काफी आत्मविश्वास और आशावाद का संचार किया है। वैश्विक और क्षेत्रीय राजनीतिक परिदृश्य में कई मुद्दों पर आत्मविश्वास से भरे व स्वतंत्र रुख अपनाने, असाधारण खेल उपलब्धियां (ओलंपिक सहित) दर्ज करने, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक (वैश्विक पहली) लैंडिंग करने आदि हमारे लिए इस बात को मानने के कुछ कारण हैं कि आखिरकार एक नया भारत उभर रहा है। वर्तमान में जारी भारत का आर्थिक परिवर्तन, बड़े पैमाने पर हो रहे डिजिटलीकरण से संचालित हो रहा है तथा यह भी उभरते नए भारत का एक और शानदार उदाहरण है।कोविड ने दुनिया भर के देशों और संगठनों को डिजिटल होने के लिए मजबूर किया, लेकिन इससे बहुत पहले ही वर्तमान सरकार ने सक्रिय रूप से डिजिटल अर्थव्यवस्था (और डिजिटल डिलीवरी मॉडल) को अपनाने पर जोर दिया था। डिजिटल इंडिया मिशन 2015 में लॉन्च किया गया था और भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक सेवाओं के वितरण में एक क्रांति देखी गई। सरकार ने इंडिया स्टैक की भी शुरुआत की, जो अर्थव्यवस्था के विभिन्न घटकों के लिए विकास का लाभ उठाने का एक विशिष्ट मंच है। इस मिशन ने कृषि, परिवहन, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण उद्योगों में नए व्यवसाय प्रारूप की शुरुआत की- ये सभी क्षेत्र मूलभूत परिवर्तन के दौर से गुजर रहे हैं। इस डिजिटलीकरण ने प्रणाली में मौजूद हेरा-फेरी को कम कर दिया और अर्थव्यवस्था को औपचारिक रूप देने में सक्षम बनाया। जीएसटी पंजीकरण और कर-संग्रह में वृद्धि इसकी सफलता के अच्छे मानक के रूप में देखे जा सकते हैं।इंडिया स्टैक एक गेम चेंजर रहा है, क्योंकि सुविधा, गति और दक्षता के लिए व्यक्ति व उद्यम, दोनों ही इसका लाभ उठाते हैं, जिनके संयोजन से व्यापार में और अधिक तेजी आएगी। जैसे-जैसे भारत (और दुनिया) डिजिटल की ओर बढ़ रहा है, इस अंतर्निहित, सक्षम डिजिटल अवसंरचना का वैसा ही प्रभाव हो रहा है, जैसा औद्योगिक क्रांति के बाद रेलमार्गों पर पड़ा था। इसने अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को तेजी से और व्यापक रूप से प्रभावित किया है तथा नागरिकों के लिए अवसरों के द्वार खोले हैं। जन धन योजना, को-विन, यूपीआई और ओएनडीसी बड़े पैमाने पर डिजिटलीकरण प्रणाली के दुनिया के कुछ अग्रणी उदाहरण हैं। व्यापक वित्तीय इकोसिस्टम में वित्तीय संस्थानों और संगठनों ने संभवतः इंडिया स्टैक को सबसे तेजी से अपनाया है, जिससे वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिल रहा है और वित्तीय उत्पादों को अपनाना आसान हो रहा है। उदाहरण के तौर पर, प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के तहत बैंक-खातों की संख्या मार्च 2015 के 147.2 मिलियन से तीन गुना बढ़कर अगस्त 2022 में 462.5 मिलियन हो गयी है, जिससे बैंकिंग-सुविधा से वंचित आबादी का एक बड़ा हिस्सा भी इस सुविधा में शामिल हो गया है।डिजिटलीकरण द्वारा प्रदान किए गए अवसरों के अनुरूप, हम विशेष रूप से बी2सी डोमेन में उद्यमों द्वारा इंडिया स्टैक का व्यापक उपयोग देख रहे हैं। यह भारतीय नागरिकों को मिलने वाले अपार लाभों को रेखांकित करता है। वास्तव में, डिजिटल के लिए सरकार का जोर इतना प्रभावशाली रहा है कि भारत में इंटरनेशनल डेटा कॉर्पोरेशन के हाल में किए गए डिजिटल व्यापार सर्वेक्षण (अगस्त 2023) के अनुसार, 25 प्रतिशत मध्यम से बड़े उद्यमों का कहना है कि उनका डिजिटल बिजनेस मॉडल अपनाने के प्रमुख कारकों में से एक- डिजिटलीकरण पर सरकार का जोर- था।आईडीसी एक डिजिटल व्यवसाय को इस रूप में परिभाषित करता है- जहां मूल्य सृजन डिजिटल प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर आधारित होता है, जिसमें आंतरिक और बाहरी प्रक्रियाएं शामिल होती हैं; एक संगठन ग्राहकों, नागरिकों, आपूर्तिकर्ताओं एवं भागीदारों के साथ कैसे जुड़ता है; यह कर्मचारियों को कैसे आकर्षित करता है, प्रबंधित करता है और बनाए रखता है; तथा यह कौन से उत्पाद, सेवाएं और अनुभव प्रदान करता है।यह जानना उत्साहजनक है कि भारतीय उद्यम डिजिटल अपनाने में अपने समकक्षों से ज्यादा पीछे नहीं हैं तथा इसके लिए हमारे मजबूत डेवलपर समुदाय और आईटी सेवाओं में पारंपरिक ताकत को धन्यवाद दिया जाना चाहिए। आईडीसी का डिजिटल व्यापार सर्वेक्षण यह भी बताता है कि सीईओ आज एक तिहाई से अधिक भारतीय कंपनियों में डिजिटल रणनीति को प्रेरित करते हैं। डिजिटल एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए, अन्य 25 प्रतिशत भारतीय उद्यमों ने पिछले दो वर्षों में मुख्य डिजिटल अधिकारी और मुख्य डेटा अधिकारी जैसे नए पद स्थापित किए हैं। उद्यम मानते हैं कि डिजिटल बिजनेस मॉडल परिचालन दक्षता बढ़ाने, बेहतर निर्णय लेने में सक्षम बनाने, प्रतिस्पर्धा-आधारित लाभ बढ़ाने और सबसे महत्वपूर्ण, ग्राहकों की अपेक्षाओं को पूरा करने में मदद करते हैं।हालांकि डिजिटल प्रारूप केवल उद्यमों तक सीमित नहीं है, भारतीय उपभोक्ता ने भी इसे उत्साहपूर्वक अपनाया है। 850 मिलियन इंटरनेट ग्राहकों, 1.1 बिलियन मोबाइल ग्राहकों (जिनमें से 630+ मिलियन स्मार्टफोन उपयोगकर्ता हैं) और 398 मिलियन सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के साथ- भारत में पहले से ही संचार व इंटरनेट सेवाओं से जुड़ी आबादी मौजूद है। यह आबादी डिजिटल मॉडल को अपना रही है- डिजीलॉकर के 137 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ता हैं, यूपीआई में 300 मिलियन सक्रिय उपयोगकर्ता हैं और को-विन में 1.1 बिलियन पंजीकृत व्यक्ति हैं।उद्यमों और उपभोक्ताओं द्वारा सक्रिय रूप से डिजिटल अपनाने से, यह स्पष्ट है कि भारत का डिजिटल रूप में बदलाव वास्तविक, अपरिवर्तनीय और व्यापक है। केन्द्रीय आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने हाल ही में कहा है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था 2026 तक भारत की जीडीपी में 20 प्रतिशत का योगदान देगी। आईडीसी भी भारत की डिजिटल संभावनाओं के बारे में समान रूप से उत्साहित है। दो साल पहले, 34.8 प्रतिशत भारतीय व्यवसायों ने आईडीसी को बताया था कि उनका 50 प्रतिशत या अधिक राजस्व डिजिटल बिजनेस मॉडल से आता है। आज, यह संख्या 50 प्रतिशत है और तीन वर्षों में आईडीसी को उम्मीद है कि 62 प्रतिशत भारतीय उद्यम अपने राजस्व का 50 प्रतिशत से अधिक डिजिटल बिजनेस मॉडल से प्राप्त करेंगे। इन कारणों से, नए भारत का भविष्य डिजिटल होने के साथ उज्ज्वल भी है!