आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। किसी भी राष्ट्र के भावी निर्माता उस देश के बच्चे होते हैं और इस निर्माण की बुनियाद अगर सुदृढ़ होगी तो, वह देशभी निश्चित रूप से मज़बूत होगा | इस मज़बूत बुनियाद की शुरुआत माँ के गर्भ धारण से ही होती है और शिशु केजन्म लेने से आगामी दो वर्षों (प्रथम 1000 दिन) तक उसके सतत विकास की प्रक्रिया जारी रहती है । जीवन काल के शुरूआती हज़ार दिन एक उज्जवल भविष्य का आधार होते हैं, जब एक बच्चे का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं भावनात्मक विकास द्रुत गति से होता है, जो उसके सम्पूर्ण जीवन को प्रभावित करता है।
इन्हीं प्रथम हज़ार दिवस को गंभीरता से लेते हुए माँ और बच्चे को उत्तम पोषण, प्रोत्साहन, स्नेह, समर्थन और उत्साह के सुअवसर प्रदान करना महत्वपूर्ण होता है गर्भावस्था के दौरान माँ द्वारा लिए गए आहार, मनः स्थिति, व्यवहार, चिंतन और मनन का सीधा असर गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है मानव को ‘होमो । सेपियन्स’ कहा गया है, जिसका अर्थ है ‘बुद्धिमान आदमी’ | संसार में मनुष्य की पहचान उसके अत्यंत विकसित मस्तिष्क से है। मस्तिष्क की मूल संरचना या नीत गर्भ में रखी जाती है। मस्तिष्क की वायरिंग सम्बन्ध तब शुरू होते हैं, जब मस्तिष्क के सेल्स एक दुसरे से जुड़ते हैं और मस्तिष्क के अलग-अलग हिस्से एक दुसरे से वार्तालाप करना आरम्भ करते हैं |
मस्तिष्क पहले दो-तीन वर्षों में बहुत सक्रिय होता है और नई चीजें व अनुभव ग्रहण करने के लिए तत्पर होता है। यही वह समय होता है, जब अधिकतम वायरिंग पूरी होती है इसलिए बच्चे के पहले दो वर्षों मानसिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।गर्भावस्था एक जीवन की बुनियाद और महिला के लिए नवीन अनुभव होता है, जिसे सुखद और सौम्य बनाने का दायित्व परिवार के प्रत्येक जन का होता है। गर्भावस्था में महिला का तनाव मुक्त रहना उसके और गर्भस्थ शिशु के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है |
फ्लेवर ब्रिज की अवधारणा के अनुसार वैज्ञानिकों ने पाया कि बच्चे उन खाद्य पदार्थों को ज़्यादा पसंद करते हैं, जो उनकी माँ ने खाया था, उस खाने की सुगंध कोख में पल रहे बच्चे के दिमाग पर एक अमिट पहचान बना लेती है, यही क्रम स्तनपान के दौरान भी जारी रहता है | अतः स्वयंव शिशु के समस्त स्वास्थ्य विकास के लिए माँ का पौष्टिक आहार लेना अनिवार्य होता है|
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किशोरावस्था में पोषण का महत्त्व ……
• शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए• किशोरावस्था में बदलती शारीस्किआवश्यक्ताओं के कारण अधिक पौष्टिकभोजन की आवश्यक्ला होसी है।पोषण स्थिति में सुधार लाने के उपायः• दिन में तीन बार भोजन का सेवन काना चाहिए• पानी का सेवन सन्तुलिंत्त मात्रा में करें• ज्यादा चीनी वाले पीने के द्रव्यों काप्रयोग कम करें
• फलों के रस की तुलना में फलों का सेवनअधिक लाभदायक होता हे●संतुलित भोजन का सेवन करना चाहिए• ज्यादा तली हुई चीजों का सेवन कम करें• हरी सब्जियों एवं फलों का सेवन करें• तेल, चिकनाई एवं मक्खन का सेवन कम करें
किशोरियों का स्वास्थ्य, माहवारी स्वच्छता…
• मासिक धर्म प्रत्येक किशोर लड़की के लिए एकसामान्य प्राकृतिक घटना है।• मासिक धर्म को ( पीरियड्स भी कहा जाता हैक्योंकि यह प्रति माह होता है) जो लड़कियों मेंउनकी यौनिक परिपक्वता का प्रमाण है या फिरयौवनारंभ के लक्षण हैं।• मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता बनाए रखना अनिवार्य है।• मासिक धर्म के दौरान रोजाना स्नान करना जरूरी है।मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता इस लिए अनिवार्य है कि अस्वच्छता का अभ्यास प्रजनन नलिकाओं की प्रणाली में संक्रमण उत्पन्न करता है।लड़कियों के लिए यह आवश्यक है कि एक नया पैड या कपड़ा मासिक धर्म मेंप्रयोग में लाएं और दिन में 3-4 बार बदलें एवं सही तौर से गन्दे कपड़े या पैड कोकूड़ेदान में फेंके।
कपड़ा या पैड सूती फाईबर का होना चाहिये और इनके प्रयोग से पहले औरदोबारा प्रयोग से पहले रोगाणु-विहीन किया हुआ होना चाहिये। कपड़ा पानी औरसाबुन से धुला होना चाहिये। संग्रहण स्थल साफ एवं सुखा होना चाहिये, क्योंकिसीलन वाले पर्यावरण में कीटाणु पनपते हैं।स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने मासिक धर्म की स्वच्छता को बढ़ावा देने केलिए महावारी स्वच्छता योजना को पहली बार प्रयोग में लाया है। इसका उद्देश्य लक्ष्यनिर्धारित समूह में मासिक धर्म की स्वच्छता एवं पैड के उपयोग के प्रति उपयुक्त ज्ञानएवं जानकारी देना है, पैड एक उच्च स्तर का सुरक्षित उत्पादन है जो उन्हें उपलब्धकरवाया जा रहा है और यह उत्पादन पर्यावरण दृष्टि से सुरक्षित एवं निपटान में क्रियाविधि सुगमता पूर्वक है।
राष्ट्रीय किशोर, स्वास्थ्य कार्यक्रम…..
स्वास्थ्य विभाग की टीमें समय-समय पर सभी सरकारी स्कूलों में बच्चों की स्वास्थ्य जांच करती है।
प्रदेश में सरकारी स्कूलों के बच्चों को आयरन की खूराक दी जाती है।
● 18 वर्ष से कम उम्र के टाईप-I डाईबीटीज से ग्रसित बच्चों कोइन्सुलिन मुफ्त में दी जाएगी।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम…
सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों में पंजीकृत व सरकारी स्कूलों में पहली से बाहरवीं कक्षा तक पढ़ रहे बच्चों के लिए निम्न अवस्थाओं में मुफ्त उपचारः
• जन्मजात विसंगतियां• बचपन में होने वाली विशेष बीमारियाँ• विभिन्न शारीरिक कमियांविकास में कमी एवं विकलांगता